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Friday 29 March 2019

March 29, 2019

ये मंत्र आपकी जिन्दगी बदल देगा

रात को सोने से पहले इस मंत्र का जरूर करें जाप, हर मनोकामना होगी पूरी 

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 मनोकामना पूर्ण कैसे हो 

कहते हैं इंसान एक ऐसा प्राणी हैं जिसकी एक दो या चार नहीं बल्कि असीमित इच्छा होती है और अपनी सभी इच्छाओं की पूर्ति के लिए हर इंसान कोई ना कोई प्रयत्न जरूर करता है। कभी कोई सही रास्ता पकड़ता है और देर से ही सही मगर अपनी इच्छा की पूर्ति कर ही लेता है जबकि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो कुछ और रास्ते पर आ जाते हैं ताकि उनकी इच्छाये जल्दी पूरी हो सके। हम सभी की यही इच्छा होती है कि हम अपने जीवन में कभी निराश न हो और ना ही कभी असफल हो। इंसान अपनी सारी इच्छाओं को पूरी करने के लिए लगातार कोशिश करता रहता है। हर इंसान की यही इच्छा होती है कि वह जल्द से जल्द अपने सारे सपनो को पूरा कर ले और जीवन में कामयाब हो जाए लेकिन सभी लोग तुरन्त कामयाबी हासिल नही कर पाते है। उन्हें लगातार असफलताएँ मिलती ही रहती है। जिसके चलते उन्हें अपने जीवन में बहुत ज्यादा स्ट्रगल व काफी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।

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 मनोकामना पूर्ति मंत्र 

इसके आलावा कई लोग तो अपनी असफलताओं से परेशान व निराश होकर कई गलत कदम भी उठा लेते है, जो उन्हें नही उठाना चाहिए। तो वहीं कुछ लोग इसके उपाय करने लगते है। लेकिन वो भी कुछ ज्यादा असरदार नही होता। ऐसे में यदि आप इन सब चीजो व उपायों को कर के परेशान हो चुके है व थक हार के निराश हो चुके है। तो आज हम आपके लिए वो उपाय ले कर आये हुए है, जो हमारे धर्म शास्त्रो में लिखा हुआ है व जिस उपाय को आप अपना कर अपने जीवन से असफलता व निराशा को दूर कर सकते है और इसके साथ ही आप अपने जीवन में सफल व अपने सपनो को पूरा कर सकते है।


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हमारे हिन्दू धर्म शास्त्रों में ऐसे बहुत से तरीके बताए गए हैं जिसे सभी अपना कर सभी लोग सुख समृद्धि और खुशियां प्राप्त कर सकते हैं। आज हम आपको एक ऐसे मंत्र के बारे में बताएंगे जिसे यदि आप सोने से पहले पढ़ कर सोते हैं, तो यकीनन आपकी सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी व आपका जीवन भी बदल जाएगा। तो चलिए बताते है आपको उस मन्त्र के बारे में। जिस मंत्र की हम बात कर रहे हैं वह नीचे दिया गया है। जिसे आपको हर रोज सोने से पहले इसका एक बार जरूर जाप करना है और इस मन्त्र का जाप करने के बाद ही सोएं।

 मनोकामना पूर्ण हनुमान मंत्र 


मंत्र :


हनुमानअंजनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।

रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिंगाक्षोअमितविक्रम:।।

उदधिक्रमणश्चेव सीताशोकविनाशन:।

लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।

एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।

स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।

तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।

राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन।।।



आपको बता दें की ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र का जाप करने से इंसान की हर तरह की सारी परेशानियाँ धीरे धीरे करके कुछ ही दिनों में दूर हो जाती है और फिर उसके बाद उसको अपने जीवन मे वो सभी सफलताएं मिलती है जिसकी हमेशा से वो कमाना करता आया है और सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि उसके जीवन की तमाम निराशाए भी दूर होती है और जीवन में भी खुशियों की बहार दौड़ जाती है।

Tuesday 26 March 2019

March 26, 2019

हनुमान जी और बलराम जी का युद्ध

जानिए हनुमान और बलराम के युद्ध की कहानी

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 Hanuman ji aur Balram ji ka Yudh 


एक समय की बात है. भगवान श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी में एक सुंदर वाटिका थी. श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम को वह वाटिका बहुत पसंद थी. उस वाटिका का निर्माण उन्होंने ही करवाया था. एक समय की बात है , उस वाटिका में एक बहुत बड़ा वानर घुंस गया और वहां के फल को वह खा रहा था. वह वानर वृद्ध था परंतु साथ ही साथ बड़ा विराट भी था. वाटिका के द्वारपाल उस वानर से भयभीत हो गए और वहां से भाग गए.

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Hanuman ji ne Balram ka Ghamand toda 


उन द्वारपालों ने जाकर बलरामजी को यह सुचना दी कि कोई बड़ा वानर उस वाटिका के अंदर आ गया है और वहां के फल खा रहा है. वह वानर इतना विराट है कि आज तक ऐसा वानर देखने में नहीं आया है. यह सुनकर बलरामजी को क्रोध आ गया और वह तुरंत ही उस वाटिका में पहुँच गए.

 Hanuman Mahabharat 


उस समय उन्होंने भी देखा उस विराट वानर को और उनको भी लगा यह कोई साधारण वानार नहीं परंतु कोई मायावी है. दरअसल वह वानर कोई और नहीं स्वयं रामभक्त हनुमानजी थे जो श्रीकृष्ण के कहने पर उस स्थान पर आये थे. बलरामजी ने देखा वह वानर बड़े आनंद के साथ वाटिका के फल खा रहा है.
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 Balram ka krodh 

बलरामजी ने उस हनुमानजी से उनका परिचय पूछा परंतु हनुमानजी ने बलरामजी को कोई उत्तर नहीं दिया. उस समय श्रीकृष्ण की माया के कारण बलरामजी भी हनुमानजी को पहचान नहीं पाए और क्रोधित हो गए. उसके बाद बलरामजी और हनुमानजी का युद्ध आरंभ हो गया. उस समय बलरामजी ने बार बार हनुमानजी पर प्रहार किया परंतु हनुमानजी ने उनका हर बार विफल कर दिया.

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 Hanuman ki ladai 

जब बलरामजी से रहा नहीं गया तो बलरामजी ने अपने सबसे शक्तिशाली शस्त्र का प्रयोग हनुमानजी पर करना चाहा परंतु स्थिति को बिगड़ती हुई देख तुरंत ही वहां पर श्रीकृष्ण प्रकट हो गए और बलरामजी को ऐसा करने से रोक दिया. भगवान श्रीकृष्ण ने जब बताया कि यह वानर कोई और नहीं स्वयं हनुमान है तो बलरामजी को भी अपना पूर्व जन्म याद आ गया और यह भी याद आ गया कि कैसे हनुमानजी ने उस समय उनकी सहायता की थी.

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 Hanuman ji ka Yudh 


उस समय बलरामजी का क्रोध शांत हो गया और वह हनुमानजी से मिलकर बहुत ही प्रसन्न हो गए. उन्होंने हनुमानजी को गले से लगा दिया और हनुमानजी ने भी बलरामजी से क्षमा मांगी और कहा मैंने जो भी किया वह प्रभु के आदेश पर किया है इसलिए मुझे क्षमा कर दीजिये. उसके बाद श्रीकृष्ण और बलराम हनुमानजी को महल के अंदर ले गए और उनका बहुत बड़ा स्वागत किया.

Sunday 3 March 2019

March 03, 2019

आखिर क्यों लिया था भगवान शिव ने शिवलिंग का रूप ?

आखिर क्यों लिया था भगवान शिव ने शिवलिंग का रूप? किसने की थी सबसे पहले पूजा, जानिए





भगवान शिव को देवो का देव कहा जाता हैं, शिवजी की मुर्ति से ज्यादा शिवलिंग की पूजा ​की जाती हैं। लकिन क्या आपको पता हैं, कि शिवलिंग की उत्पत्ति कब और कैसे हुई थी। और इस शिवलिंग की पूजा सबसे पहले किसने की थी। चलिए बताते हैं इससे जुड़ी एक प्राचिन कथा। लिंगमहापुराण के अनुसार जो भगवान शिव का पहला शिवलिंग माना जाता था, उसकी उत्पत्ति के पिछे एक कहानी हैं।

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दरअसल एक बार भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच अपनी-अपनी श्रेष्ठता को लेकर विवाद हो गया। जब विवाद बहुत अधिक बढ़ गया, तब एक अग्नि की ज्वालाओं से लिपटा हुआ शिवलिंग भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच आकर स्थापित हो गया। उस अग्नियुक्त शिवलिंग के मुख्य स्रोत का पता लगाने के लिए भगवान ब्रह्मा ने उस शिवलिंग के ऊपर और भगवान विष्णु ने शिवलिंग के नीचे की ओर जाना शुरू कर दिया। हजारों सालों तक खोज करने पर भी उन्हें उस शिवलिंग का स्त्रोत नहीं मिला।



तब हारकर वे दोनों देव फिर से शिवलिंग के मुख्य स्थान पर आ गए। वहां उन्हें ओम का स्वर सुनाई देने लगा, जिसे सुनकर दोनों देव उस ओम के स्वर की आराधना करने लगे। इस आराधना से खुश होकर उस शिवलिंग से भगवान शिव प्रकट हुए और दोनों देवों को सद्बुद्धि का वरदान भी दिया। देवों को वरदान देकर भगवान शिव अंतर्धान हो गए और एक शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गए।
March 03, 2019

महादेव शिव की पूजा में नही करनी चाहिए ये गलतियां

महादेव शिव की पूजा में नही करनी चाहिए ये गलतियां, वरना भोलेनाथ देते है दंड




मित्रों भगवान श‍िव की वेशभूषा हो या उनका जीवन दोनो आज भी रहस्यमयी रही है। शिव पुराण को पढ़ते या सुनते समय कुछ सावधानी यदि न बरती जाए तो भोलेनाथ क्रोधित हो जाते है। जिससे आपको शिवपुराण का लाभ नही मिल पाता। शिवपुराण में भोलेनाथ के जीवन से जुड़ी, उनके रहन सहन और उनके विवाह से संबंधित समस्त जानकारियां बतायी गयी है।





शिवपुराण के अनुसार कथा के सुनने से पूर्व बाल, नाखून काट लेना चाहिए। और साथ ही साथ शुद्ध मन और शुद्ध कपड़ो के साथ शिवपुराण सुनना चाहिए।




शिवपुराण के अनुसार कथा का पाठ करने वाले या सुनने वालों को ब्रम्हचर्य का पालन करना पड़ता है। और भूमि पर ही सोना पड़ता है।





किसी भी प्रकार की चुगली या अपशब्दों का प्रयोग नही करना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य कर पुण्य खत्म हो जाते है।




लहसुन, प्याज और मांसाहारी भोजन का पूरी तरह से त्याग करना चाहिए। साथ ही साथ मदिरा का भी सेवन पूरी तरह से प्रतिबंधित है।